नूल में पढ़ाई के लिए टीवी, मोबाइल फोन बंद करने का फैसला

सांगली ,(मच्छिंद्र ऐनापुरे)-

मोबाइल फोन और टीवी के अत्यधिक उपयोग के कारण बच्चों के शैक्षिक नुकसान को रोकने के लिए, कोल्हापुर जिले में नूल (ता. गडहिंग्लज)  गांव के सभी माता-पिता ने गाँव में सभी टीवी और मोबाइल फोन को हर शाम 7 से 8.30 बजे के बीच बंद करने का फैसला किया है। सरपंच प्रियंका यादव ने यह निर्णय न्यू इंग्लिश स्कूल में आयोजित महिला पालक सभा में लिया। इससे पहले महाराष्ट्र के सांगली जिले के मोहित्यांचे वडगांव और उस्मानाबाद जिले के उमरगा तालुका के जाकेकुरवाड़ी के गांवों ने भी इस तरह की गतिविधियां शुरू की हैं।

सरपंच यादव की पहल पर प्राचार्य जे. डी. वडेर की अध्यक्षता में  सभा का आयोजन  किया गया था। सरपंच यादव ने कहा, 'बच्चों को जिम्मेदार नागरिक बनाने के लिए कुछ चीजों को आजादी देने के अलावा कुछ चीजों पर पाबंदी लगानी होगी। उसके लिए हर माता-पिता अपने घरों में टीवी और मोबाइल फोन बंद कर दें और अपने बच्चों को रोजाना शाम 7.00 बजे से 8.30 बजे के बीच पढ़ाई कराएं। सभी महिलाओं ने हाथ उठाकर सरपंच यादव की इस अपील पर सहमति जताते हुए एक प्रस्ताव पारित किया। 

बच्चे घंटों मोबाइल से चिपके रहते हैं। इससे अभिभावक अक्सर कहते हैं कि पढ़ाई पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ठीक शाम के समय घर में कोई टीवी ऑन करता है और सीरियल में लग जाता है। इन सब बातों का असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ता है। इसलिए महाराष्ट्र के गांव जागरूक हो रहे हैं। सांगली, कोल्हापुर, सतारा, सोलापुर, उस्मानाबाद जिलों के कई गांवों ने बच्चों की शिक्षा के मुद्दे को गंभीरता से लिया है। ग्राम सभाओं में इस विषय को लेकर बच्चों के पढ़ने का समय निर्धारित किया जा रहा है। कई ग्राम पंचायतों में रोजाना टीवी और मोबाइल फोन बंद करने की याद दिलाने के लिए लाउडस्पीकर लगाए गए हैं। साथ ही यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी गांव के शिक्षकों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, ग्राम सेवकों, ग्राम पंचायत सदस्यों के साथ-साथ माता-पिता की भी है कि बच्चे इस दौरान घर से बाहर न जाएं। 

मनोचिकित्सकों का कहना है कि निश्चित समय पर मोबाइल फोन बंद करने के फैसले से छात्रों का स्क्रीन टाइम कम हो जाएगा। शुरुआत में इस प्रयोग के क्रियान्वयन में दिक्कतें आएंगी।  लेकिन इससे बच्चों को एक अच्छा संस्कार भी मिलेगा, आगे ये बच्चे अपने आप मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करेंगे।

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