सर्दीयों में रखे दिल की बीमारीयों पर काबू

देश में हृदय रोगीयों की संख्या हर साल बढती ही जा रही है और हर साल 24 लाख लोगों की मौत का कारण हार्ट अटॅक बनता है। एक नये शोध के मुताबिक युवावस्था से ही ये दिल के रोग भारतीयों को घेर रहे हैं। विकसित देशो में कार्डियोवैस्क्युलर डिजीज से होने वाली मौतों का आकडा 22.8फिसदी है,जबकि भारत में 70 वर्ष से कम आयु वाले लोगों में 52.2 फिसदी मौतें इस समस्या से हो रही है। हार्ट अटॅक के 10 से 14 फिसदी मामले शहरी क्षेत्रो के हैं, जबकी ग्रामीण क्षेत्रो में इनकी संख्या 5 से 7 फिसदी है।
पुरुषो को अधिक खतरा
शारीरिक श्रम रहित जीवनशैली,प्रतिस्पर्धी माहौल और कामकाज का दवाब हृदय संबंधी रोगों का प्रमुख कारण है। ओबेसिटी, रिफाईंड, कार्बोहायड्रेटस का अधिक सेवन या कोलेस्ट्रॉल की अधिक मात्रा से भी ये समस्याए बढि है। ब्लड प्रेशर व डायबिटीस भी इसके कारण है।धूम्रपान और एल्कोहॉल लेने वालों में भी ये रोग होने की आशंका रहती है।
इलाज की प्रकिया 
मरीज को जितनी जलदी हो सके अस्पताल ले जाना चाहीए,ताकि इंजियोल्पासटी या क्लॉट खत्म करने वाली दवाओं से रक्त का थक्का जमने से रोका जा सके। अटॅक के लक्षण दिखते ही 300 मिलिग्राम वाली एस्प्रिंन की गोली मुंह में रखने से हार्ट अटॅक से होने वाली मौतों को 22 फिसदी तक कम किया जा सकता है।
सीने में दर्द हो तो...
दिल का दौरा पडते ही मरीज के सीने पर अपने हाथों से तेज तेज दबाव डालना चाहीए, ताकि दिल की पंपिंग करें। एक मिनट में सौ बार तक  पंपिंग करें।इस 10 सेकेंड से ज्यादा न रोकें। सीने में दर्द हो तो हॉस्पिटल पाहूंचाने के तुरंत बाद ईसीजी कराएं, और ध्यान रहे कि इसमें 10 मिनट से अधिक का समय न लगे। जितना जलदी हो सके,मरीज को अस्पताल पाहूंचाने की व्यवस्था भी करनी चाहीए।
रोज एक मिनट 80 कदम चलते हूए 80 मिनट तक ब्रिस्क वॉक करें। वर्ष में 80 एमएल से अधिक और हफ्ते में 80 ग्राम से अधिक एल्कोहॉल न लें तो दिल के दौरे से बचे राहेंगे।

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